सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव/मोहम्मद वसीक
बाराबंकी।शहर की पहचान रहे मेहनती और नेक व्यापारी अब सूदखोरों और भू-माफियाओं के आतंक से टूटकर मौत को गले लगाने पर मजबूर हो रहे हैं। पिछले साल हर्ष टंडन की मौत ने जिस जख़्म को हरा किया था, उसी जख़्म पर अब कपड़ा व्यापारी नीरज जैन (50 वर्ष) की आत्महत्या ने नमक छिड़क दिया।
रविवार रात नीरज ने अपनी ही लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर जान दे दी। तीन पन्नों के सुसाइड नोट ने साफ कर दिया कि व्यापार में घाटा, लगातार धमकियां, सूदखोरों की प्रताड़ना और सार्वजनिक अपमान ने उनकी जिंदगी को नर्क बना दिया था।
"अब जीने की हिम्मत नहीं..."
नीरज जैन के सुसाइड नोट की पंक्तियां हर किसी की आंखें नम कर रही हैं।
"मैं कर्ज़ और लेनदारों के टॉर्चर से परेशान हो गया हूं। मैंने पैसे लौटा दिए, लेकिन आरोपियों ने धोखे से 36 लाख रुपये हड़प लिए। मेरी दुकान का एग्रीमेंट भी फर्जी कागजों से अपने नाम कर लिया। रोज़ की धमकियां और गालियां अब बर्दाश्त से बाहर हैं। मौत ही मेरा आखिरी सहारा है।"
उन्होंने यह भी लिखा कि –
"मेरी मौत के बाद मेरी पत्नी और बच्चों को अगर कोई परेशान करेगा तो मेरी मौत का जिम्मेदार वही सूदखोर होंगे।"
नीरज ने वसीयत की कि उनकी मौत के बाद उनका शरीर मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया जाए और आंखें ज़रूरतमंदों को दी जाएं।
परिवार का आरोप – सूदखोरों की धमकियों से टूटी हिम्मत
नीरज के छोटे भाई ने बताया कि व्यापार में लाखों के नुकसान के बाद बैंक से मकान-दुकान नीलाम होने की नौबत आ गई थी। मजबूरी में नीरज ने सूदखोरों से कर्ज़ लिया। लेकिन कर्ज़ चुकाने के बावजूद उमाकांत उपाध्याय (रिटायर्ड दारोगा) और उसके साथियों ने उन्हें फर्जी कागजों के जरिए फंसा लिया और खुलेआम गालियां दीं।
इतना ही नहीं, नीरज की पत्नी तक को अपशब्द कहे गए। लगातार मिलने वाली धमकियों और सार्वजनिक बेइज्जती ने आखिरकार उनकी जिंदगी छीन ली।
व्यापारी हर्ष टंडन के बाद अब नीरज जैन – व्यापारी समाज डरा और सहमा
पिछले वर्ष सूदखोरी से परेशान होकर व्यापारी हर्ष टंडन ने आत्महत्या कर ली थी। लोग अभी उस हादसे से उबर भी नहीं पाए थे कि नीरज जैन की मौत ने एक बार फिर व्यापारियों के मन में गहरा खौफ़ बैठा दिया है।
लोगों का कहना है कि अगर हर्ष टंडन की मौत के बाद प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की होती तो नीरज आज ज़िंदा होते।
इंडियन इंडस्ट्रीज चैंबर ऑफ ट्रस्ट का बयान
नीरज जैन की मौत पर इंडियन इंडस्ट्रीज चैंबर ऑफ ट्रस्ट के सेक्रेट्री सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा ने गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा:
"यह सिर्फ एक व्यापारी की मौत नहीं, बल्कि सूदखोरी और भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ दर्दनाक चीख है। नीरज जैसे होनहार प्रतिष्ठित संस्थान के व्यापारी को सूदखोरों ने मौत के मुंह में धकेल दिया। अब खामोशी बर्दाश्त नहीं होगी।"
उन्होंने मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन से मांग की कि सूदखोरों पर तुरंत कठोर कार्रवाई की जाए और व्यापारियों को राहत दिलाई जाए।
सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा ने नीरज के बड़े भाई पवन जैन को पुरसा दिया और परिवार को भरोसा दिलाया कि अगर भविष्य में किसी ने नीरज की विधवा पत्नी और बच्चों को परेशान किया तो इंडियन इंडस्ट्रीज चैंबर ऑफ ट्रस्ट आर-पार की लड़ाई लड़ेगा।
उन्होंने व्यापार मंडल से भी अपील की:
"इन्वेस्टर की शक्ल में दीमक बन चुके ये सूदखोर व्यापार की जड़ों को खोखला कर रहे हैं। अब व्यापारी समाज को एकजुट होकर आंदोलन करना होगा।"
ग़म में डूबा शहर और जैन समाज
नीरज जैन की मौत से जैन समाज और व्यापारी बिरादरी मातम में है। लोग नम आंखों से कह रहे हैं कि मेहनत और ईमानदारी से कारोबार करने वाला व्यापारी भी जब सूदखोरी के जाल में फंसकर टूट जाता है, तो यह पूरे समाज की हार है।
हर गली, हर चौक पर अब यही चर्चा है – "आख़िर कब तक व्यापारी सूदखोरों के शिकार बनते रहेंगे?"
👉 नीरज जैन की मौत सिर्फ आत्महत्या नहीं, बल्कि एक आर्थिक आतंकवाद के खिलाफ चेतावनी है।
👉 अगर अब भी प्रशासन ने आंखें नहीं खोलीं, तो न जाने कितने और नीरज और हर्ष मौत को गले लगाने पर मजबूर होंगे।
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