रिपोर्ट – एस. आसिफ़ हुसैन ज़ैदी | स्थान – बलिया, उत्तर प्रदेश
बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया में मंगलवार को इमाम हुसैन (अ.स.) की याद में स्व. मुनीर हसन ज़ैदी के कदीमी इमामबाड़े से चेहल्लुम का ऐतिहासिक जुलूस बरामद हुआ। इस मौके पर ग़म और मातम का माहौल देखने को मिला।
जुलूस-ए-चेहल्लुम नमाज-ए-जुहर के बाद निकला और तय मार्गों से होकर देर शाम शिया जामा मस्जिद पर संपन्न हुआ। इससे पहले इमामबाड़े में मजलिस-ए-चेहल्लुम हुई, जिसमें मौलाना आजिम बाकरी जौरासी ने तकरीर फरमाई।
जुलूस में अमारी, ताजिया, ताबूत और दुलदुल (जुलजनाह) बरामद हुए। माहौल अंजुमन रौनक-ए-अज़ा जलालपुर अंबेडकर नगर के साहबे बेयाज़ अली ज़हीर के नौहों से ग़मगीन हो गया। इसके बाद अंजुमन-ए-हाशिमिया बिशुनीपुर के नौहाख्वां अली जैदी ने दर्दभरे नौहे पढ़े, जिससे अकीदतमंदों की आंखें नम हो गईं।बिशुनीपुर मस्जिद चौराहे पर मेजबान अंजुमन-ए-हाशिमिया ने बाहरी अंजुमनों के साथ मिलकर जंजीरी मातम किया। वहीं शिया जामा मस्जिद के सामने मौलाना तकी रज़ा गोपालपुरी की अलविदाई तकरीर ने मोमेनीन को अश्कबार कर दिया।
जुलूस में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शरीक हुए, जिनमें – आसिफ हुसैन जैदी, रविश हैदर, डॉ. सलीस हैदर, मंजर, फिरोज भाई गड़वार मौलाई, अली जैदी, जैनुल आबेदीन जैदी, लकी हैदर, जरी हैदर, जावेद गाजीपुरी, मोहसिन रज़ा, रशी हसन, अलमदार हुसैन, महफूज़ आलम, हसरत, असगर अब्बास, दिलबर हुसैन दिल्लू, रविश, जहीन हैदर, संजर हुसैन, सफदर, शकील अहमद, लक्की खां, वसीम खां, दिलशाद अहमद आदि शामिल रहे।
पेशख्वानी अली जैदी और हसनैन अब्बास ने की, जबकि सोजख्वानी अफरोज़ हैदर उर्फ कामयाब और उनके साथियों ने की।
अंत में अंजुमन-ए-हाशिमिया के सदर शहनशाह जैदी ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
यह जुलूस न सिर्फ़ ग़म और मातम का पैग़ाम लेकर आया, बल्कि कर्बला के उस अमर संदेश को भी दोहराया कि –
👉 “सत्य, इंसाफ़ और इंसानियत की हिफ़ाज़त के लिए हर क़ुर्बानी छोटी है।”
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