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📰 मोहर्रम पर सांसद तनुज पुनिया का बेहतरीन पैग़ाम — "कर्बला की कुर्बानी इंसानियत का ज़िंदा सबक है"👉 देवा-महादेवा की गंगा-जमुनी तहज़ीब की ज़मीन से इंसाफ़, मोहब्बत और भाईचारे की सच्ची आवाज़ उठी


📍बाराबंकी | तहलका टुडे डॉट कॉम
जैसे ही मोहर्रम का मुकद्दस महीना शुरू होता है, दुनिया भर में ग़म और अज़म का माहौल बन जाता है। यही वह महीना है, जब इंसानियत, कुर्बानी और उसूलों की सबसे बड़ी मिसाल – कर्बला को याद किया जाता है। इस मौके पर बाराबंकी के सांसद  तनुज पुनिया ने एक बेहद संवेदनशील, प्रेरणादायक और इंसाफ़ से भरा संदेश जारी किया, जो जनमानस में मोहब्बत, सब्र और यक़ीन की लौ जलाने वाला साबित हो रहा है।

🎙️ खुमार बाराबंकवी के अशआर से किया आग़ाज़
सांसद तनुज पुनिया ने बाराबंकी की सरज़मीं से निकले मशहूर शायर खुमार बाराबंकवी के अल्फ़ाज़ों से अपने पैग़ाम की शुरुआत की:

“हुसैन को क़त्ल करने वाले बहुत ही खुश थे ख़ुमार लेकिन,
यज़ीदियत कब की मिट चुकी है, हुसैनियत आज भी जवाँ है...”

उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी केवल मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए एक अमर संदेश है। उन्होंने यह दिखा दिया कि अगर ज़ालिम ताक़तें ताक़तवर हों, तब भी सिर झुकाना नहीं बल्कि सर कटाना बेहतर है।


🌾 देवा-महादेवा की तहज़ीब से निकला अमन का पैग़ाम

सांसद पुनिया ने विशेष तौर पर ज़िक्र किया कि बाराबंकी जिला, जिसमें सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह देवा शरीफ़ और प्राचीन महादेवा शिवधाम स्थित हैं, गंगा-जमुनी तहज़ीब की ज़िंदा मिसाल है। यहां की मिट्टी मोहब्बत, भाईचारे और इंसाफ़ की खु़शबू बिखेरती है। यही वजह है कि मोहर्रम के इस अवसर पर यहां से एक मज़बूत आवाज़ उठ रही है — अमन, इंसानियत और हक़ के समर्थन की।


🕊️ तनुज पुनिया का संदेश:

  • मोहर्रम सिर्फ ग़म का नहीं, सबक का महीना है।
  • कर्बला हमें बताता है कि उसूलों के लिए खड़े रहना ही असली जिंदगानी है।
  • बाराबंकी की तहज़ीब हमें सिखाती है कि इंसाफ़, मोहब्बत और भाईचारा सबसे बड़ा धर्म है।

🤝 सर्वधर्म एकता की अपील

सांसद पुनिया ने सभी धर्मों, समुदायों, जातियों और वर्गों से एक साथ मिलकर हुसैनी राह पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा:

"हमें इस पवित्र महीने में यह क़सम लेनी चाहिए कि हम ज़ालिमों का विरोध करेंगे, मज़लूमों का साथ देंगे, और इंसानियत के उसूलों पर डटे रहेंगे।"


🕌 मोहर्रम में एकता और इंसाफ़ की नई रौशनी

तनुज पुनिया का यह संदेश सिर्फ़ राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक जननेता की ओर से सामाजिक समरसता, सांप्रदायिक सौहार्द और मानवीय मूल्यों के पक्ष में की गई ऐतिहासिक पहल है। उनकी यह कोशिश बाराबंकी की मिट्टी की उस पहचान को और मज़बूत करती है, जिसे पूरे देश में अदब, तहज़ीब और इंसाफ़ की मिसाल माना जाता है।

👉 मोहर्रम के इस अवसर पर आइए, हम सब मिलकर अमन, इंसाफ़ और मोहब्बत की उस राह पर चलें, जो कर्बला से होकर गुज़रती है। यही हुसैनी पैग़ाम है, और यही हमारी तहज़ीब की पहचान।

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