तहलका टुडे डेस्क/सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव/मोहम्मद वसीक
बाराबंकी, 01 जुलाई 2025 –
जहाँ अक्सर समाज से उपेक्षित हो चुके बुजुर्ग वृद्धाश्रमों में अकेलेपन की जिंदगी जीते हैं, वहीं एक युवा चेहरा इन बुझते चिरागों के लिए उम्मीद की रोशनी बनकर सामने आया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री अरविन्द सिंह गोप के सुपुत्र, हर दिल अज़ीज़ अविरल कुमार सिंह ने अपने काम से आज उन नालायक औलादों को आईना दिखा दिया जो अपने माता-पिता को लावारिस समझ कर वृद्धा आश्रम छोड़ आते हैं।
मोहर्रम जैसे ग़म और एहतराम के महीने में अविरल सिंह ने सदर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम भूहेरा (सफेदाबाद) स्थित वृद्धा आश्रम में पहुंचकर एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसने न सिर्फ बुजुर्गों की आंखें नम कर दीं, बल्कि मौजूद हर इंसान के दिल को छू लिया। इस मौके पर उन्होंने न केवल बुजुर्ग माता-पिता के बीच बैठकर उन्हें ससम्मान भोजन कराया, बल्कि स्वयं भी उन्हीं पत्तलों में बैठकर भोजन ग्रहण किया। यह क्षण देखने वाला था — एक ऐसा युवा नेता जो दिल से सेवा को ईबादत समझता है।
🌿 अविरल सिंह बोले —
"यह मेरे लिए सौभाग्य है कि आज इन बेसहारा बुजुर्गों के बीच बैठने का मौका मिला। इनका आशीर्वाद मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी पूंजी है।"
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय अखिलेश यादव जी के जन्मदिन पर बुजुर्गों की सेवा कर उन्होंने सच्चे दिल से उन्हें शुभकामनाएं अर्पित कीं।
"इन बुजुर्गों का आशीर्वाद ही अखिलेश जी को 2027 में फिर से उत्तर प्रदेश की गद्दी पर बिठाएगा", अविरल सिंह ने भरोसे के साथ कहा।
🌟 अविरल सिंह की सोच में बसी है सेवा की राजनीति
"होनहार बिरवान के होत चिकने पात" — यह कहावत अविरल सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठती है। पिता श्री अरविन्द सिंह गोप की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अविरल समाज सेवा को अपना मिशन बना चुके हैं। गरीबों, मजलूमों और बेसहारा वर्ग की मदद करना अब उनकी आदत बन चुकी है।
"अगर कभी जरूरत हो तो याद करिएगा — ये बेटा आपके हर सुख-दुख में खड़ा मिलेगा।"
– अविरल सिंह
🤝 मौजूद थे समाज के संवेदनशील चेहरे
इस अवसर पर अविरल सिंह के साथ पूर्व प्रमुख हशमत अली गुड्डू और अमित चौरसिया भी मौजूद रहे, जिन्होंने इस सेवा भाव को और मजबूती दी।
✨ युवा पीढ़ी के लिए संदेश
आज की राजनीति में जहां दिखावे और मंचीय भाषणों का बोलबाला है, वहीं अविरल कुमार सिंह जैसे युवा नेता समाज में एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं — सेवा, संवेदना और सम्मान की। मोहर्रम जैसे महीनों में इस तरह की पहल न सिर्फ धार्मिक भावनाओं का एहतराम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज को जोड़ने का काम आज भी सच्चे जज्बात से करने वाले लोग मौजूद हैं।
ऐसे युवाओं से प्रेरणा लें — जो बुजुर्गों की आँखों की नमी को मुस्कान में बदलने का हौसला रखते हैं। यही हैं असली जनसेवक, यही है असली समाजवाद।
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🙏 "दुआएं जब दिल से निकलती हैं, तो ज़माने की तक़दीर बदल जाती है..."
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