बाराबंकी। देवां मेला 2025 के उद्घाटन से पूर्व अनन्या प्रकाशन, बाराबंकी द्वारा प्रकाशित समाजसेवी मनीष मेहरोत्रा द्वारा संकलित पुस्तक ‘जीवनीदाता वारिस पाक’ का भव्य विमोचन पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप ने अपने आवास पर किया।
इस अवसर पर अपने प्रेरणादायी संबोधन में हर दिल अजीज अरविंद सिंह गोप ने कहा कि हाज़ी वारिस अली शाह रहमतुल्लाह अलैह पूरे विश्व में मोहब्बत और इंसानियत का पैग़ाम देने के लिए पैदा हुए थे। उनका संदेश “सुना-सुना मोहब्बत करो” आज के नफरत के दौर में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि सेवादार मनीष मेहरोत्रा का यह प्रयास सूफीवाद और गंगा-जमुनी तहज़ीब के अनुयायियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
गोप जी ने अनन्या प्रकाशन की पूरी टीम को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि ऐसी पुस्तकें समाज में प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना को मज़बूत करती हैं।
अनन्या प्रकाशन की प्रबंधिका अनन्या मेहरोत्रा ने बताया कि यह पुस्तक पहली बार वर्ष 2002 में प्रकाशित हुई थी। समय के साथ इसमें लगातार नए अध्याय जुड़ते गए हैं। अब 52वें संस्करण में पाठकों के लिए 32 नए पृष्ठ जोड़े गए हैं, जिनमें वारिस पाक के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को विस्तार से समेटा गया है।
इस संस्करण में विशेष रूप से यह बताया गया है कि हाजी वारिस अली शाह के कौन-कौन से राष्ट्राध्यक्ष शिष्य रहे, उनकी मज़ार की तामीर कैसे हुई, किसने इसे बनवाया, और वारिस पाक के साथ जुड़े शायरों, कव्वालों एवं कारीगरों का भी उल्लेख किया गया है।
सबसे रोचक अध्याय में यह भी बताया गया है कि शिरडी के साईं बाबा कौन थे, उनके माता-पिता कौन थे, और उन्हें फकीरी की राह कैसे मिली।
यह पुस्तक एक साथ तीन भाषाओं—हिन्दी, उर्दू और बंगला—में प्रकाशित की गई है तथा देवां शरीफ की दुकानों सहित देशभर की प्रमुख दरगाहों पर उपलब्ध है।
सऊदी अरब के बड़े बिजनेस मैन नसीम बैग मतीन से एक खुसूसी मुलाकात हुई उन्हें गुलदस्ता और अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि ऐसे मिलनसार खुशमिजाज भाई बड़ी मुश्किल से मिलते हैं अरविंद सिंह गोप ने उनको शुभकामनाएं देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
विमोचन समारोह में श्री शिरडी साई बाबा सेवा संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं समाजसेवी राजेश अरोड़ा ‘बब्बू’, मोहम्मद मतीन, अज़ीज़ अहमद ‘अज्जू’, ताज बाबा राईन, सद्दू, तथा साझी विरासत के परवेज अहमद सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन सूफी संत वारिस पाक के संदेश — “मोहब्बत ही इबादत है” — की गूंज के साथ हुआ।
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