तहलका टुडे टीम/सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव
बाराबंकी ज़िला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और हर दिल अज़ीज़ शख़्सियत एडवोकेट जगत बहादुर सिंह का 75वां जन्मदिन इस बार कुछ खास अंदाज़ में मनाया गया। ज़िला कोर्ट परिसर में सादगी और अपनापन से सजे इस समारोह में उनके साथियों, शागिर्दों और शुभचिंतकों ने उन्हें फूलों की मालाओं से लाद दिया।
सादगी में छिपी असली रौनक
न कोई दिखावा, न तामझाम—बस साथियों का प्यार और दुआएँ। यही इस समारोह की असली खूबसूरती रही। वकीलों ने गले लगाकर, बुज़ुर्गों ने आशीर्वाद देकर और नौजवान अधिवक्ताओं ने तालियों की गूंज से अपने वरिष्ठ को सलाम किया।
आज भी अदालत में गूंजती है बुलंद आवाज़
75 वर्ष की उम्र में भी जगत बहादुर सिंह एडवोकेट अदालत के गलियारों में उतनी ही मजबूती से खड़े दिखाई देते हैं, जितनी जवानी के दिनों में। उनका तर्क, उनकी दलील और उनका अंदाज़ आज भी विरोधी पक्ष को सोचने पर मजबूर कर देता है। उनकी मौजूदगी से अदालत की गरिमा और गवाही दोनों और बुलंद हो जाती हैं।
ग़रीबों और मज़लूमों का सहारा
वकालत उनके लिए पेशा कभी नहीं रहा—यह उनकी ज़िंदगी का मक़सद रहा। ग़रीब और मज़लूम इंसाफ़ की आस में जिनके पास पहुँचते हैं, उनके लिए जगत बहादुर सिंह आज भी उम्मीद का नाम हैं। उनकी वकालत ने हमेशा सच्चाई और ईमानदारी का साथ दिया है, यही वजह है कि उन्हें हर दिल अज़ीज़ कहा जाता है।
साथियों का सम्मान, शागिर्दों की प्रेरणा
जन्मदिन पर ज़िला बार एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष, वरिष्ठ वकील और तमाम साथियों ने उन्हें बधाई दी। सबने माना कि दादा जगत बहादुर सिंह न सिर्फ़ एसोसिएशन की शान हैं, बल्कि वह आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श भी हैं।
उनकी सादगी, संघर्ष और साफगोई से नौजवान अधिवक्ताओं को सीखने का हक़ीक़ी मौका मिलता है।
75 पर भी बुलंद हौसला
जगत बहादुर सिंह की ज़िंदगी यह साबित करती है कि उम्र महज़ एक संख्या है। 75 वर्ष की उम्र में भी उनका हौसला जवान है, उनकी सोच ताज़ा है और इंसाफ़ के लिए उनकी आवाज़ गूंजदार है।
👉 जन्मदिन के इस मौके पर हर किसी की जुबान पर बस यही दुआ थी कि यह सादगी, यह संघर्ष और यह इंसाफ़ की लौ हमेशा जलती रहे।
जगत बहादुर सिंह एडवोकेट, आप वकालत के मैदान में आज भी हमारी प्रेरणा हैं।
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