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🌳 परिजात धाम बना इमाम ख़ुमैनी फ़ाउंडेशन से आंखों की रौशनी का केंद्र –काज़मी सोसाइटी की पहल से गरीबों को मिला नया जीवन


सिरौली गौसपुर, बाराबंकी |पौराणिक और ऐतिहासिक पहचान रखने वाला परिजात धाम आज इंसानियत और सेवा की एक नई मिसाल का गवाह बना। यहां जात पात नहीं थी,बल्कि इंसानियत का पैगाम था जो इमाम ख़ुमैनी फ़ाउंडेशन, काज़मी एजुकेशनल एंड हेल्थ केयर सोसाइटी और टी.एल.एम. हॉस्पिटल के संयुक्त प्रयास से यहाँ आयोजित नि:शुल्क नेत्र एवं स्वास्थ्य शिविर ने गरीब, किसान और मज़दूर परिवारों की जिंदगी में रोशनी और उम्मीद दोनों भर दी।

शिविर का शुभारंभ धाम के मुख्य महंत श्री श्री मंगल दास बाबा ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों लोग पहुँचे।

  • 57 मरीजों की आँखों की जाँच हुई।
  • 25 मोतियाबिंद मरीजों का निःशुल्क ऑपरेशन कराने की व्यवस्था की गई।
  • जनरल हेल्थ चेकअप में बड़ी संख्या में लोग पहुँचे और नि:शुल्क दवा और परामर्श दिया गया।

👨‍⚕️ डॉक्टरों की टीम बनी जीवनदाता

शिविर में डॉ. सचिन, सर मुमताज़, डॉ. मीज़ान ख़ान, सतीश कुमार और सहायक ज़ाकिर अली ने मिलकर सेवा का संदेश फैलाया। संयोजक डॉ. रेहान काज़मी, जिनके सेवा भाव ने लोगों का दिल जीत लिया, हर मरीज से ऐसे मिले जैसे परिवार का हिस्सा हों।

बुजुर्ग और मज़दूर भावुक होकर बोले –

  • रमेश रॉवत ने कहा “हमारे पास इलाज के पैसे नहीं थे, लेकिन यहाँ भगवान ने डॉक्टरों के रूप में मदद भेज दी।”
  • “हमारे लिए यह कैंप जिंदगी की नई सुबह है।”

🙏 महंत मंगल दास बाबा का संदेश

“इमाम ख़ुमैनी फ़ाउंडेशन और काज़मी सोसाइटी के कार्य मानवता के लिए प्रेरणा हैं। डॉ. रेहान काज़मी गरीबों के सच्चे मसीहा हैं। उनका मिलनसार स्वभाव और सेवा भाव उन्हें जनता से जोड़ता है। किसी ज़रूरतमंद की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है और मेरा आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहेगा।”


🌾 किसानों और गरीबों की दुआएँ

एक किसान ने भावुक होकर कहा –
“हम खेत में दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन इलाज कराना हमारे लिए मुश्किल होता है। आज इस कैंप ने हमारी आँखों और दिल दोनों को रोशनी दी।”

एक बुजुर्ग महिला की आँखों में आँसू थे, बोलीं –
“ये लोग हमारे लिए फरिश्ते हैं, वरना कौन गरीब की सुध लेता है।”


💠 इंसानियत की रोशनी

इमाम ख़ुमैनी फ़ाउंडेशन और काज़मी वेलफेयर सोसाइटी ने यह संकल्प लिया है कि ऐसे नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगातार आयोजित किए जाएँगे, ताकि कोई गरीब इलाज के अभाव में अंधेरे में न रहे।

परिजात धाम आज सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि इंसानियत और सेवा का भी केंद्र बन गया – जहाँ दुआओं के बीच “सेहत ही सबसे बड़ा पैग़ाम” का संदेश गूंजता रहा

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