तहलका टुडे डेस्क/हसनैन मुस्तफा
बाराबंकी, 19 सफर 1447 हिजरी (14 अगस्त 2025) – कस्बा फतेहपुर का ऐतिहासिक महल इमामबाड़ा बुधवार की शाम ईमान और मोहब्बत-ए-अहलेबैत अ.स. से सराबोर था। भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफताब-ए-शरीअत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब ने यहां एक भव्य मजलिस को खिताब करते हुए वह रूहानी पैग़ाम पेश किया जिसने हर दिल को हिला दिया।
मौलाना साहब ने कहा कि "मजलिस-ए-हुसैनी सिर्फ ग़म का इज़हार नहीं, बल्कि इंसाफ़, इंसानियत और इख़लाक़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है"। उन्होंने इल्म की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि कर्बला में इमाम हुसैन अ.स. के साथ हाफिज-ए-कुरान, आलिम और समझदार लोग थे, जबकि यज़ीद की तरफ सिर्फ जाहिल और गुमराह लोग खड़े थे। उन्होंने भारतीयों को नसीहत की कि इल्म को अपना असली हथियार बनाएं, तालीम को आम करें और समाजी व मज़हबी एकता को मजबूती दें।
मजलिस का आगाज़ तिलावत-ए-कुरान-ए-पाक से हुआ, जिसके बाद नौहा और मर्सिया पेश किए गए। जैसे ही मौलाना साहब का खिताब शुरू हुआ, पूरा माहौल “या हुसैन” की सदाओं से गूंज उठा। दूर-दराज़ से आए हजारों अकीदतमंदों के दिलों में उनके लफ़्ज़ उतरते गए, और आंखें अश्कबार होती चली गईं।
मजलिस के बाद नवहा मातम हुआ , जिसमें हिंदू शिया-सुन्नी भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। यह मंजर बाराबंकी की गंगा-जमुनी तहज़ीब का ज़िंदा सुबूत था।
कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग यूट्यूब पर की गई, जिसे मुल्क और दुनिया भर में हजारों लोगों ने देखा।
📌 लाइव मजलिस देखने के लिए लिंक: Live Majlis – 19 Safar 2025, Fatehpur
अंत में सीनियर जर्नलिस्ट हसन इब्राहीम ने सभी मेहमानों, अकीदतमंदों और तंजीमों का दिल से शुक्रिया अदा किया और कहा कि “बाराबंकी की सरज़मीं ने एक बार फिर एकता, मोहब्बत और अज़ादारी का बेहतरीन पैग़ाम पूरी दुनिया तक पहुंचाया।”
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