इसी नगराम की शान हैं डॉ. अम्मार अनीस नगरामी, जो अपने पूर्वजों की रोशनी को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का अद्भुत काम कर रहे हैं। यह वही ख़ानदान है जिसके बुज़ुर्गों में मौलाना निज़ामुद्दीन, मौलाना फख़रुद्दीन, मौलाना अलीमुल्लाह, हाफ़िज़ अब्दुल अली, मौलाना मोहम्मद इदरीस, मौलाना अब्दुर्रहमान नदवी, मौलाना मोहम्मद ओवैस नदवी और मौलाना यूनुस नदवी जैसे विद्वान रहे, जिन्होंने नगराम को ज्ञान और संस्कारों का गढ़ बना दिया।
डॉ. अम्मार, दारुल उलूम नदवतुल उलमा के शैख़-उत-तफ़सीर मौलाना मोहम्मद ओवैस नदवी के पौत्र और मशहूर विद्वान डॉ. मोहम्मद यूनुस नगरामी नदवी के सुपुत्र हैं। 1965 में लखनऊ में जन्म लेने वाले डॉ. अम्मार ने लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की और सऊदी अरब के पाक माहौल में रहकर अपने ज्ञान में नई गहराई जोड़ी। अरब संस्कृति, इस्लामी फ़िक़्ह और तज़किरा-तर्जुमा पर उनकी कई शोधपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।2016 में उन्हें हज के लिए "ख़ादिम-उल-हरमैन अश-शरीफ़ैन" की ओर से शाही मेहमान बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
और अब, एक बार फिर नगराम का नाम रोशन करते हुए, डॉ. अम्मार अनीस नगारामी को “जश्न-ए-आज़ादी और उर्दू ज़ुबान” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिष्ठित सम्मान से नवाज़ा गया। यह सम्मान माननीय न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिज़वी (जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ बेंच) और प्रो. अब्बास अली महदी (कुलपति, एरा यूनिवर्सिटी) के हाथों प्रदान किया गया।
यह ऐतिहासिक आयोजन मसूदिया नवाज़ सोसाइटी द्वारा उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से हिंदी संस्थान, हज़रतगंज, लखनऊ में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर डॉ. मसीहु्द्दीन खान और अस्रार अहमद की मेहनत और आयोजन को सफल बनाने में उनके योगदान की विशेष सराहना की गई।
डॉ. अम्मार नगरामी की यह उपलब्धि न केवल उनका व्यक्तिगत सम्मान है, बल्कि पूरे नगराम और अवध की विरासत के लिए एक और सुनहरा अध्याय है।
नगराम — जहाँ इतिहास बोलता है और विरासत चलती है भविष्य की ओर। ✨
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