✍️ रिपोर्ट: सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव
स्थान: लोधेश्वर महादेव, बाराबंकी | दिनांक: 14 जुलाई
सावन की पहली सोमवारी…
भोर की पहली किरणों के साथ ही पूरा लोधेश्वर धाम “बम बम भोले” की दिव्य गूंज से भर उठा। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वर्ग से आ रही घंटियों की आवाज़ पृथ्वी पर महादेव की उपस्थिति की घोषणा कर रही हो। श्रद्धालु, कांवरिए और सनातन प्रेमी शिवभक्तों का सैलाब मानो एकजुट हो गया हो महादेव के श्रीचरणों में गंगा जल अर्पण के लिए।
🕉️ पौराणिक आस्था का प्रतीक – लोधेश्वर महादेव
रामनगर तहसील के इस पांडवकालीन मंदिर की महिमा सिर्फ किवदंतियों में नहीं, जनमानस की आस्था में बसी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने वनवास काल में यहीं भगवान शिव की आराधना की थी, और तभी से यह स्थल तप, त्याग, और सत्य की शक्ति का प्रतीक बना हुआ है।
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🚩 बम बम भोले – केवल नारा नहीं, एक सामाजिक संदेश
"बम बम भोले" के जयकारों में केवल श्रद्धा नहीं, समर्पण की शक्ति है। यह आवाज़ समाज को बताती है कि शिवत्व केवल पूजन नहीं, जीवन का दर्शन है —
जहाँ कोई छोटा-बड़ा नहीं, सब शिव के स्नेह में सम हैं।
यह जयघोष अहंकार, द्वेष और भेदभाव को गलाकर प्रेम, सेवा और समानता की ओर ले जाता है।
🌼 श्रद्धालुओं की भीड़ और प्रशासन की दक्षता
सुबह 5 बजे से ही मंदिर प्रांगण में कांवरियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई। महिलाएं, बुज़ुर्ग, बच्चे और नौजवान सब के सब एक ही भाव में डूबे हुए थे — शिव की भक्ति।
प्रशासन ने भी अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया।
- अर्धसैनिक बलों की तैनाती,
- सीसीटीवी निगरानी,
- महिला पुलिस और स्वास्थ्य शिविर,
- जल सेवा और मार्ग व्यवस्था —
हर मोर्चे पर प्रशासनिक दल श्रद्धालुओं के साथ तत्पर रहा।
🕯️ महादेवा का मौन पैग़ाम – शांति और समरसता
इस पवित्र स्थल से उठती प्रत्येक घंटी की ध्वनि, हर "बम बम भोले" की पुकार केवल आरती नहीं है, यह मानवता को पुकार है —
"एक-दूसरे को समझो, सहो, क्षमा करो, और सच्चाई से जुड़ो।"
"जब तक मन में द्वेष है, तब तक पूजा अधूरी है। जब तक हृदय में क्षमा नहीं, तब तक शिव नहीं।"
— यही लोधेश्वर महादेव का शाश्वत संदेश है।
🛕 लोधेश्वर – संस्कृति की सांस, समाज की धड़कन
लोधेश्वर महादेव केवल एक मंदिर नहीं, यह संस्कृति की प्राचीन चट्टान है जिस पर काल और कलह कभी विजय नहीं पा सके।
यह धाम बताता है कि भारतीय जनमानस में श्रद्धा और संयम अब भी जीवित हैं, और जब समाज भटकेगा, तो महादेव फिर किसी “बोल बम” की गूंज में उसे सही राह दिखा देंगे।
आज जब देश और समाज विभाजन, हिंसा और कट्टरता से जूझ रहा है, तब लोधेश्वर धाम हमें शांति, प्रेम और भाईचारे की प्रेरणा देता है।
आइए, महादेव की भक्ति को केवल जप तक सीमित न रखें, उसे व्यवहार, समाज और रिश्तों में भी अपनाएं।
बोलिए — बम बम भोले!
हर हर महादेव!
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